चंडीगढ़...विश्व होम्योपैथी दिवस पर Dr.Kharbanda का कहना है, *मीठी मीठी गोलियां जड़ से मिटा देंगी रोग* *होम्योपैथिक दवाओं से रोग सदा के लिए ठीक हो जाता है, नहीं होता साइड इफेक्ट* होम्योपैथिक दवाओं का प्रयोग अब सारी दुनिया करने लगी है। वजह
है कि इसमें रोग को जड़ से मिटाने की क्षमता है। यही कारण है चिकित्सा की इस 200 वर्ष पुरानी प्रणाली का उपयोग अब करीब 250 हजार चिकित्सक और दुनिया भर में कर रहे है,500 मिलियन से ज्यादा लोग करते हैं। डा.एच के खरबंदा का कहना है की अब होम्योपैथी में केंद्रीय अनुसंधान परिषद को पास होम्योपैथी के लिए 1,000 करोड़ रुपये का शोध बजटआवंटित किया जाता है। तथा होम्यौपैथिक दवाओं के प्रयोग से बेशक मरीज को ठीक होने में समय लगता है पर यह रोग को पूरी तरह से खत्म कर देती हैं। इसका साइड इफेक्ट भी नहीं होता।
डॉ खरबन्दा का कहना है कि दवा को नियमित रूप से लेना तथा दवा लेने के पूर्व मुंह का पूरी तरह साफ होना बहुत आवश्यक है। तंबाकू या किसी भी तरह के गुटखा का सेवन करने के तुरंत बाद होम्योपैथी की दवा लेना उतना कारगर नहीं होता। कुछ लोगो की धारणा है की होम्योपैथिक दवाएं पहले रोग को बढ़ाती हैं, फिर उसे ठीक करती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल, होम्योपैथिक दवाएं किसी रोग का नहीं, मरीज का उपचार करती हैं। यह दवाएं रोग को दबाती नहीं हैं बल्कि बीमारी जिस वजह से है उसको जड़ से निकाल देती हैं।कोई साइड इफेक्ट नहीं होता
होमियोपैथी पर सूडो साइंस का आरोप नया नहीं है। होम्योपैथी के जनक डॉ हैनिमैन के समय पर तो होम्योपैथी का बहुत ही विरोध हुआ लेकिन उनका कहना था प्रेक्टिस मी एंड प्रूव मी रांग।
भारत सहित यूरोपियन देशों में प्रसिद्ध है होम्योपैथी* जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, इटली, स्पेन और यू.के.में कम से कम 70 अस्पताल सक्रिय रूप से रोगी देखभाल में होम्योपैथी को एकीकृत कर रहे हैं । डॉ खरबन्दा के अनुसार होम्योपैथिक मे ऐसी कई रोगों का ईलाज संभव है, जिनका उपचार अन्य चिकित्सा पद्द्ति मे शल्य चिकित्सा द्वारा संभव है