चंडीगढ़...मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन व नार्थ जोन कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने फार्मा कम्पनियों की धक्काशाही के खिलाफ आवाज की बुलंद की l चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब जम्मू कश्मीर, हिमाचल से आये मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के लीडरों ने चंडीगढ़ मे प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा की आज के समय में अगर कोई सबसे तेजी से ग्रो कर रहा है तो वह Pharmaceutical सेक्टर है . मेडिकल फील्ड आज के दौर की सबसे ग्रोथ करने वाली इंडस्ट्री बन चुकी है.Pharmaceutical इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने का सबसे बड़ा योगदान Medical Representative का रहा है।
फार्मा कंपनियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए नॉर्थ जोन कोआर्डिनेशन कमेटी के सदस्यों ने कहा कि फार्मा कम्पनियां मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव से काम लेते वक्त सभी प्रकार नियम ताक पर रख देती हैं.. जैसे की...
1) अपॉइंटमेंट लेटर फार्म ए पर नहीं देती है इसलिये वो लीगल डॉक्यूमेंट न होकर कम्पनी की नाजायज हुक्मों का फरमान बन जाता है , उस पर जॉब प्रोफाइल नहीं लिखा होता के हमारा काम है क्या मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है मैनेजर है या उच शैली मैनेजर है क्यूँकि रखा मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव पद पर होता है पर जब विवाद पैदा होता है तो रिप्रेजेंटेटिव को मैनेजर दर्शाया जाता है विवाद को लमकाने के लिए।
2) फार्मा एम्प्लॉई के कोई भी वर्किंग आवर डिफाइंड नहीं होते हैं।सुबह आठ बजे से लेकर रात तक काम होता है
3) अधिनियम 19 - 1 (सी) के तहत मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को ट्रेड यूनियन जॉइन करने का अधिकार है जिसे फार्मा कम्पनियों द्वारा रोका जाता है ।
4) सेल्स प्रमोशन कार्यकर्ता जो इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट 1947 अधिनियम 2(s)के तहत कार्यकर्ता हैं उन को कार्यकर्ता भी नहीं मान रहे।
5) प्रवृत्त प्रसूति प्रसुविधा अधिनियम, 1961 (1961 का 53) के उपबन्ध उन विक्रय संवर्द्धन कर्मचारियों को जो स्त्री हैं या उनके सम्बन्ध में उसी प्रकार लागू होंगे जिस प्रकार वे उस अधिनियम के अर्थ में किसी स्थापन में मजदूरी पर नियोजित स्त्रियों को या उनके सम्बन्ध में लागू होते हैं , इन नियमों को भी दरकिनार किया जाता है