वर्ल्ड IVF डे पर सुखना लेक पर वाकाथान का आयोजन हुआ। जानकारी देते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व प्रेजिडेंट डॉ नीरज कुमार व फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की सदस्य डॉ पूनम व वंदना नरूला ने बताया कि 6 में से 1 दम्पति इनफर्टिलिटी से जूझ रहा है लेकिन कृत्रिम रूप से गर्भ धारण की प्रक्रिया अब आसान हो गई है ,व I V F तकनीक माता-पिता बनने की चाह रखने वाले दंपति के लिए फायदेमंद हो सकती है।
संतान की आस में जगह-जगह इलाज से थक चुके नि:संतान दम्पतियों के जीवन में आई.वी.एफ. या टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक कारगर है। शादी की बढ़ती उम्र, भाग-दौड़ व कैरियर बनाने के जुनून ने समाज में नि:संतानता की समस्या को बढ़ा दिया है। इस कारण लाखों महिलाओं की गोद खाली रह जाती हैं और ये बातें दम्पति समाज व परिवार से छुपाते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर वर्ष जितनी शादियां होती हैं, उनमें से 10 से 15 प्रतिशत महिलाएं नि:संतानता से ग्रस्त होती हैं।
नए टेस्ट के तहत आईवीएफ तकनीक से तैयार भ्रूण को महिला की कोख में प्रत्यारोपित करने से पहले उसके जीन और क्रोमोजोन की विस्तृत जांच की जाती है।
विश्व आई वी अफ दिवस पर लगभग 100 पैरामेडिकल स्टाफ व डॉक्टरों तथा चंडीगढ़ रेजिडेंट ने चंडीगढ़ मे लेक पर आई वी एफ की जागरूकता के लिए वाकाथान का आयोजन किया।डॉ पूनम ने बताया कि आईवीएफ तकनीक को आम लोगों की पहुँच तक बनाने के लिए कई तरह के नए शोध किये जा रहे है| चिकित्सा जगत के पास भ्रूण की जांच के अन्य तरीके भी उपलब्ध हैं।