चंडीगढ़.... ट्राइसिटी पेरिनेटोलॉजी मीट का आयोजन किया गया, उदघाटन किया डॉ. सुमन कुमार (डायरेक्टर हेल्थ सर्विसेज यू टी) ने ।
डॉ सुमन ने कहा कि समय के साथ-साथ एडवांसमेंट मेडिकल फील्ड की जरूरत है, ऐसे कार्यक्रम डॉक्टर के ज्ञानवर्धन में लाभदायक होते हैं।
पूर्व प्रेसिडेंट आई एम ए चंडीगढ़ व डायरेक्टर मदरहुड चैतन्य अस्पताल के डॉ नीरज ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में ही हम सब मिलकर जेनेटिक्स ,फीटल मेडिसिन व हाई रेसोल्यूशन अल्ट्रासाउंड के बारे में मिलकर मंथन कर सकते हैं ।
डॉ, हरप्रीत के अनुसार लगभग 100 में से एक या दो बच्चों को जेनेटिक डीफैक्ट्स होता हैं ,लेकिन सभी जेनेटिक डिफेक्ट प्रेगनेंसी को टर्मिनेट करने की आवश्यकता नहीं होती
चंडीगढ़ मे ऑब्सटेट्रिक्स व नियोनेटोलॉजी के क्षेत्र में लेटेस्ट एडवांसमेंट , हाई रिस्क प्रेगनेंसी, प्रीमेच्योर बर्थ व जेनेटिक्स पर मंथन के लिए उत्तर भारत के लगभग 100 स्पेशलिस्ट एकत्र हुए, मौका था ट्राइसिटी पेरिनेटोलॉजी मीट का , मदरहुड के डॉ नीरज कुमार डॉक्टर पूनम कुमार डॉक्टर हरप्रीत व डॉ पल्लव गुप्ता की विशेष उपस्थिति रही ।
अल्ट्रासाउंड का प्रेगनेंसी में विशेष महत्व को बताते हुए डॉ हरप्रीत ने बताया कि जैसे ही प्रेगनेंसी का पता लगे तो पहले अल्ट्रासाउंड तभी हो जाना चाहिए और 20 हफ्ते से पहले पहले जेनेटिक्स की स्क्रीनिंग भी हो जानी चाहिए ताकि कोई भी बर्थ डिफेक्ट छूट न जाये ।
जेनेटिक डिफेक्ट के डाइग्नोस्टिक के लिए प्रेग्नेंसी प्लान से पहले स्पेशलिस्ट को मिलें प्रेगनेंसी का पता लगता ही कंफर्मेटरी अल्ट्रासाउंड करवा ले 11 से 14 हफ्तों में फिर से
19 से 20 हफ्तों में फिर से तथा एन्टी स्कैन तीसरे महीने के आखिरी चरण में
गर्भावस्था से जुड़ी कुछ गलतफहमियां
प्रेग्नेंट महिलाओं को डॉक्टर से ज्यादा नसीहतें परिवार वाले देते हैं. अनुभव से सीखी दादी परदादी की बातें कई बार काम की होती हैं लेकिन हर नसीहत ही काम आए ऐसा जरूरी नहीं ।
गर्भावस्था में सटीक जांच के लिए नॉन-इनवोसिव प्रीनेटल टेस्टिंग (एनआईपीटी) भी आवश्यक है जो शिशु के जन्म से काफी पहले डाउन सिंड्रोम जैसी असामान्य क्रोमोसोम संबंधी गड़बड़ियों का पता लगाने का प्रभावी, सटीक और सुरक्षित तरीका साबित होगा.