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"अपने अपने राम " कार्यक्रम के अंतरगत कुमार विश्वास की कथा का मुरीद हुआ ट्राइसिटी

चंडीगढ़...."मेरी चौखट पर चल कर आज, चारों धाम आएं हैं, बजाओ ढोल स्वागत में, मेरे घर राम आये हैं."। डॉ. कुमार विश्वास की इन पंक्तियों ने चंडीगढ़ स्थित एक्जिबिशन ग्राउंड में भक्तों में नई ऊर्जा का संचार कर दिया। डॉ. कुमार विश्वास ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के आदर्शों पर चलें तो निश्चित रूप से सफलता आपकी होगी। क्योंकि मर्यादा पुरुषोत्तम ने नीति को सर्वोपरि रखा।

डॉ. विश्वास कहते हैं  श्री राम के लिए एक रात थी जो कि बहुत भारी थी। वह रात थी, जिस समय उनका पूरा परिवार उनको वन से वापस लेने आया था। लेकिन उस समय भी श्रीराम ने नीति को ही प्रमुखता दी। वह सबसे पहले मिले तो मां कैकेयी से। कारण था, उनको मालूम था कि माँ के ऊपर क्या बीत रही है। उनको अपने भाई भरत से सबसे ज़्यादा लगाव था। इसका उदाहरण मिलता है जब वह कहते हैं " तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई"। उन्होंने श्री हनुमान जी को गले लगाया और यही कहा कि आप मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो। 

करिश्माई अंदाज में डॉ. कुमार विश्वास ने दूसरे दिन भी भक्तों को अपनी मधुर वाणी से भाव विभोर कर दिया। उन्होंने जिस भाव से अपने-अपने राम कार्यक्रम के  माध्यम से दूसरे दिन भी भगवान राम के जीवन के विभिन्न पहलुओं की मार्मिक व्याख्या और उनकी महिमा का गुणगान किया। सभी ने कहा, ऐसी कथा नहीं सुनी कभी

श्री राम कृपा ट्रस्ट के प्रदीप बंसल ,मेयर अनूप गुप्ता ,जगमोहन गर्ग व नवराज मित्तल  ने इस मौक़े पर कहा कि डॉ. कुमार विश्वास द्वारा प्रभु  श्रीराम का वर्णन सिर्फ कथा नहीं है बल्कि यह संस्कृति और परंपराओं का संपूर्ण वर्णन भी है। जिसको समाज को फ़ॉलो करना चाहिए। यह जीवन का सरल और संपूर्ण बनाता है।


इस मौक़े पर श्री राम कृपा ट्रस्ट के प्रदीप बंसल ने कहा कि उन्होंने रामकथा उन्होंने काफ़ी सुनी है पर डॉ. कुमार विश्वास द्वारा कथा वाचन एकदम जुदा और प्रेक्टिकल अंदाज में है। उन्होंने दोनों ही दिन इसका श्रवण किया। इस मौक़े पर मौजूद नवराज मित्तल ने कहा कि वास्तव में यह रामकथा श्री राम का संपूर्ण वर्णन करने के साथ ही कई नई सीख और जीवन जीने की कला सिखाती है। इस मौक़े पर जगमोहन गर्ग ने कहा कि डॉ. कुमार विश्वास संस्कृति और परंपराओं को विज्ञान से जोड़कर बहुत ही सरल भाषा में राम की कथा सुनाने के लिए प्रख्यात हैं। ऐसा ही यहां भी नजर आया। उन्होंने कहा कि वास्तव में श्री राम जी के जीवन के बारे में सीखने के साथ ही यहाँ काफ़ी कुछ सीखने को मिला।

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