चंडीगढ़.....श्री ब्राह्मण सभा द्वारा भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव के उपलक्ष मे भगवान परशुराम भवन चंडीगढ़ में पांच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन। कथा के प्रथम दिवस का शुभारम्भ श्री ब्राह्मण सभा के प्रधान यशपाल तिवारी सहित सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने प्रभु का विधिवत पूजन करके किया।कथा के अंतर्गत संस्थान के संस्थापक एवं संचालक आशुतोष महाराज की परम शिष्या कथा व्यास साध्वी संयोगिता भारती ने अपने विचारों में कहा कि जब-जब इस धरती पर पाप बढता है और धर्म की हानि होती है तब-तब ईश्वरीय शक्ति अवतार धारण करती है। मानवीय जीवन में दैवीय गुण स्थापित कर सम्पूर्ण जड़ता को समाप्त करने के लिए एवं दैविय प्रेम के अर्थो को स्थापित करने के लिए वो सर्वशक्तिमान परमात्मा निर्गुण से सगुण रूप धारण कर इस धरा पर आते हैं। इसी प्रकार जब त्रेतायुग में रावण का अत्याचार बढ़ा था तब प्रभु श्रीराम के रूप में धरती पर अवतार धारण करते हैं। लेकिन विचार करने योग्य बात यह है कि जब ईश्वर धरती पर अवतार धारण करके आता है तो कितने लोग उसे पहचान पाते हैं। प्रभु के साथ रहने वाली माता कैकेयी, मंथरा उन्हें पहचान नहीं पाई। रावण ने जब प्रभु को देखा उन्हें वनवासी कहकर संम्बोधित किया। लेकिन माता शबरी ने प्रभु श्री राम को प्रथम भेंट में ही पहचान लिया था। इसका कारण यह है कि हम इन स्थूल नेत्रों से प्रभु को नहीं पहचान सकते। मां शबरी के पास दिव्य नेत्र थे , जबकि रावण, कैकेयी, मंथरा आदि के पास यह दिव्य चक्षु नहीं थे । इसलिए दिव्य चक्षु का खुलना आवश्यक है जिसके आधार पर हम उस सगुण शक्ति को पहचान सकें। यह दिव्य चक्षु केवल एक पूर्ण सतगुरू ही प्रदान कर सकता है। इसलिए जीवन में एक पूर्ण सतगुरू की जरुरत है जो ऐसा नेत्र प्रदान करे जिससे हम ईश्वर को घट में देख सकें।
कथा के दौरान साध्वी सदया भारती, साध्वी मनप्रीत भारती एवं साध्वी प्रभुज्योति भारती ने भजनों एवं चौपाइयों का गायन कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। प्रथम दिवस कथा को विराम प्रभु की पावन आरती दिया गया।